त्रिवेणी संगम गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम का प्रतीक है। जहाँ गंगा पवित्रता को दर्शाती है, वहीं यमुना भक्ति का प्रतिनिधित्व करती है, और सरस्वती, अदृश्य होने के बावजूद, ज्ञान और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करती है। भौतिक और आध्यात्मिक कारकों का यह विशिष्ट संयोजन संगम को आध्यात्मिक ऊर्जा के दिव्य केंद्र में बदल देता है। परंपरा के अनुसार, त्रिवेणी वह स्थान है जहाँ भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण करने के बाद यज्ञ किया था।
संगम का जल अतिपवित्र है और इसमें डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप नष्ट जाते है और आत्मा शुद्ध हो जाती है। सनातन परम्परा के अनुसार भक्तों का मानना है कि पवित्र जल पिछले कर्मों के बोझ को हटा देता है, जिससे आध्यात्मिक मुक्ति का द्वार खुल जाता है। प्रयाग-राज में होने वाले प्रसिद्ध माघ मेला और कुंभ मेला जैसे त्योहारों पर हिंदू समारोहों का आयोजन किया जाता है जहाँ पर दीपदान का महत्व और अधिक हों जाता है।