कौशिक ऋषि वाल्मीकि ने राम रक्षा स्तोत्र की रचना की, जिसे वज्र पंजर कवच के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें 38 श्लोक हैं। इसका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पहलुओं में सफलता और समृद्धि आती है। इस स्तोत्र का जाप करने से न केवल हमारे बुरे कर्मों का नाश होता है, बल्कि हम पवित्र और गुणी बनते हैं, जिससे हम भगवान श्री राम के गुणों को आत्मसात कर पाते हैं। आनंद रामायण में निम्नलिखित लाभ और महत्व पाए जाते हैं।
- राम रक्षा स्तोत्र 'सर्वकामदं' है, जिसका अर्थ है कि यह सभी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम है।
- इसके पाठ करने से पाठक को दिर्घायु प्राप्त होती है । उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है ।
- इसे नियमित पाठ करने से यह सुनिश्चित हो जाता है कि खुशी, आत्मसंतोष, सफलता और पारिवारिक परंपरा निर्बाध रूप से चलती रहे तथा पारिवारिक कलह से बचा जा सकता है।
- इसका पाठ करने वाले को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, लेकिन अहंकार नहीं, बल्कि सरलता प्राप्त होती है।
राम रक्षा स्तोत्र का पाठ कब करना उचित है?
- राम रक्षा स्तोत्र का पाठ किसी भी शुभ दिन, विशेष रूप से नवमी तिथि, शनिवार, मंगलवार, गुरुवार, नवरात्रि आदि पर किया जा सकता है।