वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु दो अदृश्य ग्रह हैं जो सूर्य और चंद्रमा के घोर विरोधी हैं। राहु और केतु आकाश में खगोलीय बिंदु हैं, जिन्हें क्रमशः उत्तर और दक्षिण चंद्र नोड्स के रूप में जाना जाता है। उत्तर और दक्षिण चंद्र नोड्स वे बिंदु हैं जहाँ चंद्रमा का पथ सूर्य के पथ से प्रतिच्छेद करता है। इस प्रकार, राहु और केतु का सूर्य और चंद्रमा के साथ संबंध हिंदू पौराणिक कथाओं में प्रतीकात्मकता का उपयोग करके वर्णित किया गया है।
राहु एक छाया ग्रह है इसको वैदिक ज्योतिष में सर्प के मुख के रूप में दर्शाया गया है जो भावनाओं, भौतिकवाद, जागरूकता, बुद्धि, गंतव्य, मनोविज्ञान आदि का प्रतिनिधित्व करता है। जब कुंडली में राहु अशुभ होता है, तो यह गलतफहमी और मानसिक कठिनाइयों का कारण बनता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं बनती हैं।