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श्रीहनुमानजी कृपा प्राप्ति हेतु सात्विक साधना
अनिल गोविंद बोकील ।
नाथसंप्रदाय मे पूर्णाभिषिक्त और तंत्र मार्ग मे काली कुल मे पूर्णाभिषिक्त के बाद साम्राज्याभिषिक्त ।
यह साधना किसी भी पूर्णिमा से आरंभ करे । नित्य की पूजा होने के बाद श्रीगायत्री मन्त्र का जप १ माला ( १०८ ) करे ।
अपने सामने एक चौरंग रखे । उसपर श्रीरामपंचायतन ( श्रीराम,सीता, लक्ष्मण,भरत,शत्रुघ्न व हनुमान जी एका एकत्रित फोटो ) का फोटो रखे । फोटो का पूजन करे व एक पुष्पहार चढाए । अब चौरंग पर ही इस फोटो के सामने चावल की ढेरी बनकर उस पर अष्टगंध से एक स्वस्तिक बनाए । इसपर एक जलभरा कलश रखे । कलश मे चुटकीभर अष्टगंध ; १ बिल्वदल ; १ तुलसीदल ; आक का एक छोटा पान ; सफेद फूल ; १ सुपाडी ; और १ सिक्का ( Coin ) डाले । अब इस कलशपर एक तशतरी रखकर उसमे भी चावल रखकर उसपर अष्टगंध से स्वस्तिक या अष्टदलकमल बनाये । और उसपर श्रीहनुमानजी की मूर्ती/छोटा फोटो रखे । फोटो उपलब्ध ना हो तो एक सुपाडीपर श्रीहनुमानजी का आवाहन करके वह सुपाडी रख सकते है । अब श्रीहनुमानजी का पंचोपचार पूजन करे ।
बाद मे –
( १ ) श्रीरामरक्षा स्तोत्र – १ पाठ ।
( २ ) रां रामाय नमः – १ माला जप ।
( ३ ) ओम हं हनुमते नमः – १ माला जप
( ४ ) श्रीहनुमान स्तोत्र – १ पाठ
( ५ ) ओम हं हनुमते नमः – १ माला जप
( ६ ) रां रामाय नमः – १ माला जप ।
( ७ ) श्रीरामरक्षा स्तोत्र – १ पाठ ।
इतना करे । श्रीहनुमान स्तोत्र किसी संत महात्मा की रचना हो । छोटा भी मिला तो भी उत्तम ।
उक्त प्रकार से साधना होनेपर सफेद फूल चढाए । और ५ मिनिट शांत बैठकर श्रीहनुमानजी का ध्यान/स्मरण करते रहे । श्रीरामरक्षा स्तोत्रांतर्गत ३३ वा श्लोक हनुमानजी का उत्तम ध्यान है ।( मनोजवं मारुततुल्य वेगम — श्रीरामदूतं शरणम प्रपद्ये । ) या आपको जो भी पसंद हो उस प्रकार ध्यान करे । बाद मे प्रणाम करके उठ जाये । इस प्रकार यही साधना ११ दिनतक करे । इस से श्रीहनुमानस्तोत्र की सिद्धी होगी । वो अपनी कृपा बरसने लगेंगे । ऐसी ११ दिन की साधना = १ मंडल हुआ । इसी प्रकार ११ मंडल ( १२१ दिन ) करे तो पूर्ण कृपा होती है । श्रीहनुमानजी के प्रत्यक्ष दर्शन भी हो सकते है ।
पहले दिन जो रचना चौरंगपर की है वह रोज नयी करना आवश्यक नहीं । पहले ही दिन की रचना अंतिम दिनतक वैसी ही रख सकते है । सिर्फ पूजा के लिए फोटो उठाकर लेना होगा ।
कोई ११ मंडल करना चाहे तो निरंतर १२१ दिन कर सकते है । या बीच मे कुछ दिन रुककर भी अगला मंडल शुरू कर सकते है । किसी कारणवश मंडल पूरा नहीं हुआ तो ; वह मंडल फिर शुरू से करना होगा ।
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