मिस्टिक ज्ञान पितर स्वरूप महात्म्य Mystic PowerOctober 2, 2023 श्री अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ )- Mystic Power- वेद खण्डन करने वाले पितर का अर्थ केवल जीवित माता-पिता करते हैं। यदि उनका वेद में... 1
धर्म-पथ वेद विभाजन के आधार Mystic PowerOctober 1, 2023September 14, 2023 श्री अरुण कुमार उपाध्याय ( धर्मज्ञ )- Mystic Power- (१) अप्-अग्नि – आकाश में फैला हुआ विरल पदार्थ अप् है जिसके ९ स्तर हैं, जिन... 1
ज्योतिष विज्ञान ज्योतिष का धर्म से क्या संबंध है ? Mystic PowerAugust 23, 2023August 21, 2023 श्री शशांक शेखर शुल्ब (धर्मज्ञ )- Mystic Power – “ज्योतिषम् नेत्रमुच्यते” इसका अर्थ होता है कि वेद को समझने... 1
मिस्टिक ज्ञान अथर्ववेद में मेस्मरिज्म और हिप्नॉटिज्म Mystic PowerMarch 29, 2023March 28, 2023 श्री शशांक शेखर शुल्ब (धर्मज्ञ )- Mystic Power-अथर्ववेद में हस्त-स्पर्श से रोग निवारण की पूरी विधि दी गई है।(अथर्ववेद ४/१३/१ से ७ )... 1
ज्योतिष विज्ञान ज्योतिष ग्रन्थों का काल-निर्णय Mystic PowerMarch 12, 2023March 9, 2023 श्री अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ )- Mystic Power – वैदिक ज्ञान परम्परा की उत्पत्ति स्वायम्भुव मनु से मानी जाती है, जो मनुष्य... 1
तंत्र शास्त्र जादू-टोने का व्यावहारिक उपयोग Mystic PowerFebruary 21, 2023 श्री शशांक शेखर शुल्ब (धर्मज्ञ) mysticpower – माया, मायावी और इन्द्रजाल देवों में माया करने की शक्ति : … अथर्ववेद में उल... 1
धर्म-पथ अथर्ववेद और अभिचार कर्म Mystic PowerFebruary 13, 2023February 13, 2023 श्री शशांक शेखर शुल्ब ( धर्मज्ञ )- mysticpower-अथर्ववेद का प्राचीन नाम अथर्वांगिरस भी है। प्रायः सभी पाश्चात्य विद्वानों ने ए... 1
मिस्टिक ज्ञान सृष्टि के मूल में कामशक्ति Mystic PowerJanuary 4, 2024January 3, 2024 डा. दीनदयाल मणि त्रिपाठी ( प्रबंध संपादक ) Mystic Power– सम्पूर्ण विश्व द्वन्द्वात्मक है। सम्पूर्ण सूष्टि मैयुनात्मक है। इन दो... 0
मिस्टिक ज्ञान शिव-शक्ति Mystic PowerDecember 14, 2023 स्वामी विष्णु तीर्थ जी महाराज Mystic Power- यद्यपि ब्रह्म अक्षर है अर्थात् उसमें कभी किसी प्रकार का परिणाम नहीं होता, वह अपरिणामी, अ... 0
धर्म-पथ सामवेद मे यज्ञ से संबंधित ऋचाएं… Mystic PowerDecember 6, 2023December 4, 2023 श्री शशांक शेखर शुल्ब (धर्मज्ञ)- Mystic Power- १. “अञ्जते व्यञ्जते समजते, क्रतुं रिहन्ति मध्वाभ्यञ्जते ।” (साम० १... 0