Tag: बृहदारण्यक

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अमृत-तत्त्व 

अमृत-तत्त्व 

श्री  सुशील जालान बृहदारण्यक उपनिषद् एक मुख्य उपनिषद् है। इसकी ऋचाएं (01.03.28) हैं, “असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत...