Tag: ब्रह्म

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शिव-शक्ति

शिव-शक्ति

स्वामी विष्णु तीर्थ जी महाराज Mystic Power- यद्यपि ब्रह्म अक्षर है अर्थात् उसमें कभी किसी प्रकार का परिणाम नहीं होता, वह अपरिणामी, अ...
तत्त्वासार और नवार्णमन्त्र की व्यापकता

तत्त्वासार और नवार्णमन्त्र की व्यापकता

श्री  निश्चलानंद कौलाचारी- Mystic Power- वास्तव मे सृष्टि मे एक ब्रह्म की ही सत्ता है जो विभिन्न रूपों मे अभिव्यक्त हुआ है । इसलिए स...
शिव का रहस्य

शिव का रहस्य

  श्री निश्चलानंद “कौलाचारी” जो समस्त मासिक भेदों से रहित, अन्तरात्मा रूप और साक्षात प्रतीति का अविषय तथा अनन्त सच्...
कार्त्तिकेय-768×461

कार्त्तिकेय

श्री अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ) १. सुब्रह्मण्य- सम्पूर्ण विश्व ही ब्रह्म है। चेतन रूप में पुरुष है। अव्यक्त स्रोत के ४ भाग में १...
तिस्रस्-त्रेधा = तीन का पुनः ३-३ विभाजन

तिस्रस्-त्रेधा = तीन का पुनः ३-३ विभाजन

अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ)– १. अज्ञात के ज्ञान की विधि-विश्व या उसका चेतन रूप ब्रह्म अज्ञात है। विभिन्न दर्शनों या शास्त्रों में...
वेद में मूर्ति तत्त्व

वेद में मूर्ति तत्त्व

अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ) १. मूर्त-अमूर्त का समन्वय- परात्पर निर्विशेष ब्रह्म निराकार है। उसे देखना, जानना सम्भव नहीं है। उसके द...