डॉ. मदन मोहन पाठक (धर्मज्ञ)-
किसी व्यक्ति को प्रयत्न करने पर भी निवास के लिये भूमि अथवा मकान न मिल रहा हो, उसे भगवान् वराह की उपासना करनी चाहिये। भगवान् वराह की उपासना करने से, उनके मन्त्र का जप करने से, उनकी स्तुति-प्रार्थना करनेसे अवश्य ही निवास के योग्य भूमि या मकान मिल जाता है।
स्कन्दपुराण के वैष्णव खण्ड में आया है कि भूमि प्राप्त करने के इच्छुक मनुष्य को सदा ही इस मन्त्र का जप करना चाहिये-
ॐ नमः श्रीवराहाय धरण्युद्धारणाय स्वाहा।
ध्यान-भगवान् वराह के अंगों की कान्ति शुद्ध स्फटिक गिरि के समान श्वेत है। खिले हुए लाल कमलदलों के समान उनके सुन्दर नेत्र हैं। उनका मुख वराह के समान है, पर स्वरूप सौम्य है। उनकी चार भुजाएँ हैं। उनके मस्तक पर किरीट शोभा पाता है और वक्षःस्थल पर श्रीवत्स का चिह्न है। उनके चार हाथों में चक्र, शङ्ख, अभय मुद्रा और कमल सुशोभित है। उनकी बायीं जाँघ पर सागराम्बरा पृथ्वीदेवी विराजमान हैं। भगवान् वराह लाल, पीले वस्त्र पहने तथा लाल रंग के ही आभूषणों से विभूषित हैं। श्रीकच्छप के पृष्ठ के मध्य भाग में शेषनाग की मूर्ति है। उसके ऊपर सहस्त्रदल कमल का आसन है और उस पर भगवान् वराह विराजमान हैं।
उपर्युक्त मन्त्र के सङ्कर्षण ऋषि, वाराह देवता, पंक्ति छन्द और श्री बीज है। इसके चार लाख जप करे और घी व मधु मिश्रित खीर का हवन करे।
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