श्री सूर्यदेव-
यह चारों वेदों में प्रथम वेद ऋग्वेद के प्रथम मंत्र का प्रथम शब्द है-
महर्षि पाणिनि के अनुसार-अञ्जू गति पूजनयो: धातु से अग्नि शब्द बना है, जिसका अर्थ है वह जिसमें गति है यानी गति देने का सामर्थ्य है और वह जो पूजनीय है l वेदों के तीन तरह से अर्थ किए जाते हैं-आधिदैविक-आधिभौतिक-आध्यात्मिक,,इन तीन से अलग और आचार्य यास्क रचित वेद के व्याकरण कहे जाने वाले शास्त्र निरुक्त को पढ़े बिना जो अर्थ करेगा वह निश्चित ही अनर्थ करेगा l
निरुक्त में आचार्य यास्क कहते हैं कि अग्नि का एक नाम अश्व भी है,, जैसे कनक का एक अर्थ धतूरा भी है और सुवर्ण भी तब कोई धतूरे की जगह सोना अर्थ ले या सुवर्ण की जगह धतूरा तो वह विक्षिप्त या मूढ़ ही कहाएगा तो अश्व नाम अग्नि का भी है और घोड़े का भी ज्यादातर जगह वेद में जहां अश्व नाम आया है वह अग्नि रूप में है और आधिभौतिक अर्थ करेंगे तो गैस, तेल, बारूद, सौर ईंधन के रूप में वह ऊर्जा जो यंत्रों को चला सके या आकाश में उड़ा सके जैसे आजकल हवाईजहाज या रॉकेट आदि चलते हैं l
https://www.youtube.com/watch?v=vcMIyKPm5MY&t=125s
वेद भगवान ने उपदेश किया कि तुम अग्नि यानी ऊर्जा को समझो और इस अग्नि यानी अश्व के द्वारा बड़े बड़े यानों को आकाश में उड़ाओ l
तो बिना व्याकरण को सही से जाने और लगातार बोलने की लत के चलते कथा कहानियों में मूर्खों ने उड़ने वाले घोड़ों की कल्पना कर ली,,, सोचा वेद अश्व के उड़ने की कह रहा है तो झूठ थोड़े ही है,, बस फिर घोड़े रथ लेकर आकाश में उड़ने लगे,,बिना यह समझे कि यहां गति अर्थ में अश्व का मतलब अग्नि होगा l
और फिर कोई बात चल निकले तो यहीं थोड़े ही रुकती है,, जगजीत सिंह ने कहा था-बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी गई दूर तक अरब तक पहुंची मोहम्मदसाब नए नए नजूमी हुए थे उन्हें इल्म हुआ था और तब तक सुनने में आया कि अश्व भी उड़ते हैं वेद में लिखा है l
कितने भी सनातन विरोधी वेद विरोधी रहें हों लेकिन इतनी आस्था तो उन्हें भी थी कि वेद निरर्थक नहीं कहता और बस फिर जिस गधी पर बैठकर घूमते थे बुर्राक नाम था उसका मुसलमानों ने उसे भी उड़ा दिया कहते हैं मोहम्मद साहब गधी पर बैठकर शरीर सहित उड़ते हुए अल्लाह के पास चले गए थे l
बिना व्याकरण पढ़े खुद की अग्नि जिसका एक नाम अश्व है उसको घोड़ा माना उल्लुओं ने और रही सही मिट्टी पलीद अरबियों की भी करवा दी उनको भी फंसा लिया जाल में वे भी गधी पर बैठकर उड़ गए अब जगहंसाई हो रही है तो होती रहे अपन को तो उड़ना है गधी पर बैठकर l
आजकल जो इंजनों की ताकत तुम हॉर्सपॉवर में नाप रहे हो न यह भी सही अग्नि रूपी ऊर्जा से चलने वाले भौतिक साधन हैं जिसको आचार्य यास्क और वेद ने अश्व कहा है, अश्व पॉवर,,हॉर्स पॉवर, अग्नि की ताकत, यानी ऊर्जा की ताकत l
इतना ज्ञान वेद के पहले ही शब्द में है l सोचो परिश्रम करके पूरे वेद पढ़ोगे तो क्या क्या खजाने मिलेंगे l
तुम्हें ज्ञान की बातों में उलझाकर मैं और एक असली किसान चने के होले भूनने में जुटे हुए हैं l मसाले के साथ लेंगे आनंद असली इसलिए कहा क्योंकि नकलियों की भीड़ तो दिल्ली पड़ी है l
अपनी संस्कृति,,अपना गौरव,,
Comments are not available.