शुभाशुभ-योग ।

img25
  • ज्योतिष विज्ञान
  • |
  • 08 March 2025
  • |
  • 6 Comments

श्री संदीप वसिष्ठ 'जिज्ञासु'-

नृपतिश्चक्रवर्ती च रव्याद्यैरुच्च गंग्रहैः ।। १५ ।। अर्थी भोगी धनी नेता जायते मण्डलाधिपः ।

 

सूर्य आदि ग्रह यदि उच्च के होवें, तो क्रम से नीचे लिखे हुए फल को देते हैं। जैसे-सूर्य द्रव्य, चन्द्रमा भोग, मंगल घन देता है, और बुध नेता, बृहस्पति प्रदेश का राजा, शुक्र देश का राजा और शनैश्चर चक्रवर्ती राजा बना देता है ।। १५ ।।

 

त्रिभिः स्वस्थैर्भवेन्मन्त्री त्रिभिरुच्चैर्नराधिपः । त्रिभिर्नीचं भंवेद्दासस्त्रिभिरस्तंगतैर्जडः ॥  

तीन ग्रह स्वस्थ (अर्थात् बली) हों तो जातक मन्त्री; तीन ग्रह उच्च के हों तो राजा; तीन ग्रह नीच के हों तो दास और तीन ग्रह अस्त हों तो जड़ (अर्थात् मूर्ख) होता है ।

 

बलवान ग्रह

 

उदितः स्वगृहस्थश्च मित्रगेहे स्थितोऽपि वा । मित्रवर्ग मित्रदृष्टः स ग्रहः सबलः स्मृतः ॥ 

 

जो ग्रह उदय हो या अपने ही घर में स्थित हो, या मित्न के घर में स्थित हो, या मित्र ही के वर्ग में हो या मित्न द्वारा देखा जाता हो वह बलवान कहलाता है ।। १७ ।।

 

बलवान लग्न

 

स्वामिना बलिना दृष्टः सबलैश्च शुभग्रहैः । न दृष्टो न युतः पापैः स लग्नः सबलः स्मृतः ॥ 

 

जो लग्न बली स्वामी द्वारा देखा जा रहा हो, या बली शुभग्रहों द्वारा देखा जा रहा हो, या पाप-ग्रहों द्वारा न देखा जा रहा हो, और न पापग्रहों से युक्त हो, वह लग्न बलवान होता है ।। १८ ।।



Related Posts

img
  • ज्योतिष विज्ञान
  • |
  • 12 March 2025
मंत्र – साफल्य दिवस : होली

6 Comments

abc
Aachary chander pal bharti 10 March 2025

बहुत ही उपयोगी और सार गर्भित जानकारी हैं

Reply
abc
Jai 10 March 2025

Jai shree Ram

Reply
abc
Jai 10 March 2025

Jai shree Ram

Reply
abc
Jai 10 March 2025

Jai shree Ram

Reply
abc
Jai 10 March 2025

Jai shree Ram

Reply
abc
Jai 10 March 2025

Jai shree Ram

Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Post Comment