गृह प्रवेश पूजन गृह प्रवेश पूजन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे नए घर में प्रवेश करने से पहले किया जाता है। यह पूजन नए घर में शांति, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए किया जाता है। गृह प्रवेश का अर्थ है घर में निवास की शुरुआत, और इसे शुभ मुहूर्त में करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार गृह प्रवेश तीन प्रकार से बताया गया है, जो इस प्रकार हैं। अपूर्वग्रह प्रवेश: जब किसी नए बने घर में पहली बार प्रवेश किया जाता है, तो उसे अपूर्व ग्रह प्रवेशकहते हैं। सपूर्वगृह प्रवेश: जब किसी कारणवश कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ प्रवास पर होता है और कुछसमय के लिए अपना मकान खाली छोड़ देता है, फिर जब वह दोबारा वहीं रहने के लिए जाता है, तो उसेसपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं। द्वंद्वगृह प्रवेश: जब किसी समस्या या विपत्ति के कारण घर छोड़ना पड़ता है और कुछ समय बाद उसघर में पुनः प्रवेश करना पड़ता है, तो उसे द्वंद्व गृह प्रवेश कहते हैं। उपरोक्त तीनों ही स्थितियों में गृह प्रवेश पूजा का प्रावधान धर्म शास्त्रों में मिलता है। मान्यता है कि इससेघर में सुख-शांति बनी रहती है। इस पूजन के दौरान, गृह स्वामी और उनके परिवार द्वारा वेद मंत्रों और पूजा विधियों के साथ हवन, गणेश पूजा, वास्तु पूजा, और कलश स्थापना की जाती है। हवन के माध्यम से घर को पवित्र किया जाता है, और देवी- देवताओं का आह्वान किया जाता है ताकि वे नए घर में वास करें और उसे दोषमुक्त रखें। गृह प्रवेश पूजन का उद्देश्य घर के वातावरण को शुद्ध करना, सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को दूर करना, और घर में शांति, सुख, और समृद्धि की स्थापना करना है। यह अनुष्ठान यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि घर के सभी निवासियों को सुख और समृद्धि प्राप्त हो।
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