नामकरण संस्कार हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसमें नवजात शिशु का नामकरण किया जाता है। यह संस्कार शिशु के जीवन में पहला सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठान होता है, और इसे जन्म के कुछ दिनों बाद एक शुभ मुहूर्त में संपन्न किया जाता है। आमतौर पर, यह संस्कार शिशु के जन्म के दसवें या ग्यारहवें दिन किया जाता है। नामकरण संस्कार के दौरान, परिवार और रिश्तेदार शिशु के स्वस्थ और समृद्ध जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं। वेद मंत्रों और पूजा विधियों के साथ शिशु का नाम रखा जाता है। इस नाम का चयन ज्योतिषीय आधार पर, परिवार की परंपराओं, और धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। इस संस्कार का उद्देश्य शिशु को एक पहचान देना और उसके भविष्य के लिए शुभकामनाएँ देना है। नामकरण संस्कार को शिशु के जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है, और यह संस्कार परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सामूहिकता की भावना को भी मजबूत करता है।
मिस्टिक पावर की भविष्य दर्शन सःशुल्क सेवा आपकी सभी ज्योतिषीय समस्याओं का समाधान करने हेतु है।
Learn Moreमिस्टिक पावर राष्ट्र जागरण और सांस्कृतिक चेतना के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता हैं।
Learn More