सगाई संस्कार हिंदू विवाह की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक अनुष्ठान है, जिसमें वर और वधू के बीच विवाह के संबंध को औपचारिक रूप से स्वीकार किया जाता है। इसे ‘वाग्दान’, ‘निश्चय ताम्बूल’ या ‘रोका’ भी कहा जाता है। इस संस्कार के माध्यम से दोनों परिवारों की सहमति से विवाह की घोषणा की जाती है, और वर-वधू के बीच विवाह के बंधन को पक्का किया जाता है। सगाई के दौरान, वर और वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं, जो उनकी आपसी प्रतिबद्धता और प्रेम का प्रतीक होती है। इस अवसर पर दोनों परिवारों के सदस्य एकत्र होते हैं, और एक-दूसरे को मिठाई, वस्त्र, और अन्य उपहार भेंट करते हैं। इस संस्कार में विधिपूर्वक पूजा, हवन, और मंत्रोच्चार किया जाता है, जिसमें देवी-देवताओं से वर-वधू के सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद माँगा जाता है। सगाई संस्कार का उद्देश्य विवाह से पहले दोनों परिवारों के बीच संबंधों को मजबूत करना और विवाह की तैयारी की शुरुआत करना है। यह संस्कार पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को सुदृढ़ करने का माध्यम भी है, जहाँ वर और वधू के बीच के बंधन को समाज के सामने प्रस्तुत किया जाता है।
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