भोजेश्वर मंदिर – एक पत्थर का सबसे बड़ा शिवलिंग 

img25
  • तीर्थ
  • |
  • 31 October 2024
  • |
  • 0 Comments

नितिन श्रीवास्तव (सलाहकार संपादक )-

भारत देश मंदिरो का देश है, यहां विभिन्न देवों के अद्भुत मंदिर देखने को मिलते हैं। अपने देश में मंदिरो का बहुत महत्व होता है, हर मंदिर अपने आप मेंअनोखा होता है और चम्तकारों से भरा हुआ रहता है। मंदिरोे के इस देश में हम आपको कई बार चम्तकारिक मंदिरो के बारे में बता चुके हैं, आज हम आपको भोपाल के भोजेश्वर मंदिर के बारे में बतायेंगे जहां विश्व का एक ही पत्थर से बना सबसे विशाल शिवलंग स्थापित है…यह वास्तुकला का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करता है। भोजपुर , मध्य प्रदेश कि राजधानी भोपाल से 32 किलो मीटर दूर स्तिथ है। भोजपुर से लगती हुई पहाड़ी पर एक विशाल, अधूरा शिव मंदिर हैं। यह भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। माना जाता है कि इस अनुपम मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई – 1055 ई ) द्वारा किया गया था। इस मंदिर कि अपनी कई विशेषताएं हैं। मंदिर कि पहली विशेषता इस मंदिर कि पहली विशेषता इसका विशाल शिवलिंग हैं जो कि विशव का एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग हैं। सम्पूर्ण शिवलिंग कि लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट ),व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट ), तथा केवल लिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट ) है । दूसरी विशेषता -भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) के पीछे के भाग में बना ढलान है, जिसका उपयोग निर्माणाधीन मंदिर के समय विशाल पत्थरों को ढोने के लिए किया गया था। पूरे विश्व में कहीं भी अवयवों को संर चना के ऊपर तक पहुंचाने के लिए ऐसी प्राचीन भव्य निर्माण तकनीक उपलब्ध नहीं है। ये एक प्रमाण के तौर पर है, जिससे ये रहस्य खुल गया कि आखिर कैसे 70 टन भार वाले विशाल पत्थरों का मंदिर के शीर्ष तक पहुचाया गया।  तीसरी विशेषता- भोजेश्वर मंदिर कि तीसरी विशेषता इसका अधूरा निर्माण हैं। इसका निर्माण अधूरा क्यों रखा गया इस बात का इतिहास में कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है पर ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में निर्मित होना था परन्तु छत का काम पूरा होने के पहले ही सुबह हो गई, इसलिए काम अधूरा रह गया….. चौथी विशेषता -भोजेश्वर मंदिर कि गुम्बदाकार छत हैं। चुकी इस मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम के आगमन के पहले हुआ था अतः इस  मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बनी अधूरी गुम्बदाकार छत भारत में ही गुम्बद निर्माण के प्रचलन को प्रमाणित करती है। भले ही उनके निर्माण की तकनीक भिन्न हो। कुछ विद्धान इसे भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत मानते हैं। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है। इस मंदिर की पांचवी विशेषता इसके 40 फीट ऊचाई वाले इसके चार स्तम्भ हैं। गर्भगृह की अधूरी बनी छत इन्हींचार स्तंभों पर टिकी है। यहां है माता पार्वती कि गुफा भोजपुर शिव मंदिर के बिलकुल सामने पश्चमी दिशा में एकगुफा हैं यह पारवती गुफा के नाम से जानी जाती हैं। इस गुफा में पुरातात्विक महत्तव कि अनेक मुर्तिया हैं।यहाँ एक अधूरा जैन मंदिर भी है – भोजपुर में एक अधूरा जैन मंदिर भी है। इस मंदिर में भगवन शांतिनाथ कि 6 मीटर ऊंची मूर्ति हैं। दो अन्य मुर्तिया भगवान पार्शवनाथ व सुपारासनाथ कि हैं। इस मंदिर में लगे एक शिलालेख पर राजा भोज का नाम लिखा है। यह शिलालेख एक मात्र सबुत हैं जो कि राजा भोज से सम्बंधित हैं। साथ में ही इसी मंदिर परिसर में आचार्य माँटूंगा का समाधि स्थल  हैं जिन्होंने  Bhaktamara Stotra. लिखा था।



Related Posts

img
  • तीर्थ
  • |
  • 12 January 2025
कुम्भ पर्व

0 Comments

Comments are not available.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Post Comment