श्री स्वामी राम
ध्यान करते समय जिस महत्वपूर्ण पक्ष की सबसे अधिक उपेक्षा की जाती है, वह उसकी तैयारी से संबंध रखता है। उचित तैयारी के बिना, शारीरिक, मानसिक तथा भावात्मक बाधाएँ आपके लिए बाधा बनती रहेंगी और आपके ध्यान के अभ्यास को गहन नहीं होने देंगी। हालांकि यह भौतिक देह स्वयं ध्यानपरक अवस्था को पैदा नहीं करती और न ही आपके लिए ऐसा करने में सहायक होती है, परंतु शारीरिक समस्याएँ या असहजता आसानी से आपके ध्यान की राह में बाधा बन सकती हैं और आपको विचलित कर सकती है।
सबसे ज्यादा सामने आने वाली शारीरिक समस्याएँ है: रोग; तनाव के कारण उत्पन्न शारीरिक व्याकुलता या आराम करने के लिए, शांति से बैठ पाने में असमर्थता; थकान या उनींदापन; शारीरिक रूप से उत्तेजित होना, दिन की तनावपूर्ण घटनाओं के कारण मन का आशंकित होना; और भोजन के साथ जुड़ी समस्याएँ जैसे भूख न लगना या बहुत अधिक भोजन कर लेना। यदि आपको यह पता हो कि अपनी जीवनशैली को कैसे व्यवस्थित कर सकते हैं, तो ध्यान के मार्ग में आने वाली ये शारीरिक बाधाएँ बहुत आसानी से दूर की जा सकती हैं। निःसंदेह यह पूरी तरह से सत्य है कि इलाज से परहेज बेहतर होता है। हालांकि आप पाएँगे कि सर्दी-जुकाम या छोटी-मोटी शारीरिक शारीरिक परेशानी के साथ ध्यान रमाने में कोई दिक्कत नहीं होती किंतु किसी गंभीर रोग के कारण, ध्यान के लिए एकाग्र होना कठिन हो जाता है। सौभाग्यवश, ध्यान आपको अनेक शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए बहुत संवेदनशील बना देता है, इस तरह आपके शरीर को निरोगी रहने में सहायता मिलती है क्योंकि आप जान पाते हैं कि आपके शरीर को स्वस्थ बने रहने के लिए किसकी आवश्यकता होगी।
इन समस्याओं को कैसे दूर किया जाए, उनके लिए इसी पुस्तक में सुझाव दिए जाएँगे। शारीरिक तनाव व दबाव को दूर करने के लिए विशेष अभ्यास दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, भोजन तथा पर्याप्त नीद, तथा वे किस तरह ध्यान के अभ्यास को प्रभावित करते हैं, इसी अध्याय में आगे उनकी भी चर्चा की जाएगी।
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