गंगा के अवतरण या जन्म की कई तिथियां हैं। स्वर्ग से भूमि पर गङ्गा का अवतरण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हुआ, अर्थात् हरिद्वार से निकली। हिमालय क्षेत्र स्वर्ग है। जह्नु से जन्म हुआ वैशाख शुक्ल सप्तमी को, इसे दशहरा इसलिए कहते हैं कि इस दिन गङ्गा स्नान १० पापों को हरता है। उससे पहले कैलास पर्वत से अक्षय तृतीया को निकली।
नारद पुराण (२/४०/२१)-गंगा अवतरण का काल-
ज्येष्ठे मासि क्षितिसुतदिने शुक्लपक्षे दशम्यां हस्ते शैलादवतरदसौ जाह्नवी मर्त्यलोकम्।
पापान्यस्यां हरति हि तिथौ सा दशैषाद्यगङ्गा पुण्यं दद्यादपि शतगुणं वाजिमेधक्रतोश्च ॥
नारद पुराण (१/११९/७-९)-ज्येष्ठ शुक्ल दशमी, दशहरा लग्न हेतु दश योग, दस पाप हरण से दशहरा नाम, जाह्नवी में स्नान का महत्त्व-
ज्येष्ठे शुक्लदशम्यां तु जाह्नवी सरितां वरा। समायाता धरां स्वर्गात्तस्मात्सा पुण्यदा स्मृता॥७॥
ज्येष्ठः शुक्लदलं हस्तो बुधश्च दशमी तिथिः। गरानन्दव्यतीपाताः कन्येंदुवृषभास्कराः॥८॥
दशयोगः समाख्यातो महापुण्यतमो द्विज। हरते दश पापानि तस्माद्दशहरः स्मृतः॥९॥
पद्म पुराण, खण्ड ५ (पाताल खण्ड), अध्याय ८५- जह्नु से जन्म-
वैशाख शुक्ल सप्तम्यां जाह्नवी जह्नुना पुरा। क्रोधात्पीता पुनस्त्यक्ता कर्णरंध्रात्तु दक्षिणात्॥४९॥
नारद पुराण (१/११६/११)-
वैशाखशुक्लसप्तम्यां जह्नुना जाह्नवी स्वयम्। क्रोधात्पीता पुनस्त्यक्ता कर्णरंध्रात्तु दक्षिणात्॥११॥
वैशाखशुक्लपक्षे तु तृतीयायां जनार्दनः। यवानुत्पादयामास युगं चारब्धवान् कृतम्। ब्रह्मलोकात्त्रिपथगां पृथिव्यामवातारयत्॥ ब्रह्मपुराणम् (वाचस्पत्यम् तथा शब्द कल्पद्रुम में गङ्गा शब्द के अर्थ में)
यहां अक्षय तृतीया से यव उत्पादन तथा कृषि आरम्भ का संकेत है। इस दिन ब्रह्मलोक से पृथ्वी पर अर्थात् कैलास पर्वत पर गंगा आयी।