डॉ. मदनमोहन पाठक (धर्मज्ञ)- mystic power - इस संसार का हर भक्त,श्रद्धालु, पुजारी मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद ही आरती करता है। क्या आपने कभी किसी इंसान को पूजा-विधि के दौरान सबसे पहले आरती ही करते हुए देखा है, नहीं ना तो फिर आपके के भी दिमाग में एक ही सवाल उठ रहा होगा कि आखिर पूजा-पाठ के बाद ही आरती क्यों की जाती है। जी हां हमारे पूर्वजों ने इस क्रिया को भी सोच समझकर ही बनाया है। पूजा के बाद अंत में आरती करने के पीछे धार्मिक महत्व के साथ-साथ कुछ वैज्ञानिक महत्व भी है। आपको बतादें कि पूजा के बाद आरती के पीछे कुछ बड़े वैज्ञानिक कारण विद्यमान हैं। 1- हम सब जानते हैं कि आरती के समय थाली में रुई, घी, कपूर, फूल, चंदन रखा होता है। चूंकि घी, चंदन और कपूर शुद्ध सात्विक चीजें हैं ऐसे में आरती के समय जैसे ही कपूर जलाया जाता है तो वातावरण में एक अदभुत सुगंध का प्रसार होता है। बीमारी फैलाने वाली कीटाणु का भी नाश होता है। 2- ऐसा होते ही वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा लोप हो जाता है और साकारात्मक ऊर्जा संचारित होने लगती है। साकारात्मक ऊर्जा के चलते मन में अच्छे विचारों का प्रार्दुभाव होता है। खूशबू से हमारा दिमाग भी शांत रहता है। 3- और जब आरती के समय जैसे जब हम सभी एक साकारात्मक ऊर्जा के साथ घंट-घड़ियाल और शंख की ध्वनि के साथ ईष्ट देव को याद कर स्तुति करते हैं उस समय हमारा मन एकाग्रचित हो जाता है। मस्तिष्क में वो सकारात्मक प्रभाव डालते है । एकाग्रचित और शांत मन हमारी समस्याओं का समाधान आसानी से कर देता है।
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