षटकर्मो के विभिन्न प्रयोग

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  • तंत्र शास्त्र
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  • 31 October 2024
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  श्री बृज रतन व्यास -   Mystic Power-१. अश ईश्वरादि क्रोध शांति मंत्र : ॐ शांते प्रशान्ते सर्वक्रोधोपशमनि क्रोधोपशमनि स्वाहा। इस मंत्र से २१ बार अभिमंत्रित जल से मुंह धोने से सभी ईश्वरीय क्रोधों का शमन हो जाता है।   २. अशलोक वशीकरण मंत्र :   ॐ नमो भगवते उड्डा मरेश्वराय मोहय ३. स्त्री वशीकरण :   ॐ नमः कामाख्यादेवि अमुकी मे वशमानय स्वाहा। सर्वप्रथम इसे १० हजार जपकर सिद्ध करें तथा मां कामाख्या की पूजा भोग, इत्यादि चढ़ायें। इसके बाद ब्रह्मदंडी-चिताभस्म अभिमंत्रित करके जिस स्त्री पर डाला जाता है वह शीघ्र ही दासी के समान वशीभूत हो जाती है।   ४. स्तंभन प्रयोग :   ॐ नमो दिगम्बराय अनुकासन स्तंभन कुरु स्वाहा। यह मंत्र १०८ बार जपने से सिद्ध होता है।   विधि :-   मनुष्य की खोपड़ी में मिट्टी भरकर उसमें सफेद धुंधली को दें तथा प्रतिदिन दूध से सींचता रहे। वृक्ष निकल आने पर उसे उखाड़ लें, फिर इसे अभिमंत्रित करके जिसके सामने फेंक दिया जाये वह अपने स्थान पर ही स्थिर हो जाता है।   ५. अग्नि स्तंभन :   ॐ नमो अग्निरुपाय मम शरीरे स्तम्भन कुरु कुरु स्वाहा। १० हजार जप कर सिद्ध कर लें इसके बाद मेढक की चर्बी में ग्वारपाठा का रस मिलाकर शरीर पर लेप करने से अग्नि स्तंभन हो   जाता है।   ६. मेघ स्तंभन :   ॐ नमो भगवते रुद्राय मेघ स्तम्भन ठः ठः ठः। इसको १० हजार जप करके सिद्ध करने के बाद दो ईटों के बीच श्मशान के अंगारे को रखकर जगल में गाडने से मेध स्तभन हो जाता है।   ७. नौका स्तम्भन : ॐ नमो भगवते रुद्राय नौका स्तम्भय स्तम्भय ठः ठः ठः ।   विधि :-   भरणी नक्षत्र में ५ अंगुल की कील क्षीर वृक्ष की लकड़ी बनाये तथा मंत्र से अभिमंत्रित करके नौका में डालने से नौका स्तम्भन हो जाता है।   ८. मनुष्य स्तम्भन प्रयोग :   ॐ नमो भगवते रुद्राय अमुक स्तम्भय स्तम्भय ठः ठः ठ : 1   सर्वप्रथम १० हजार जप कर सिद्ध करें तथा रजस्वला वस्त्र लेकर उस पर गोरोचन से शत्रु का नाम लिखकर घड़े में अभिमंत्रित करके डाल दें। इससे साध्य व्यक्ति स्तम्भित हो जाता है।   ९. मोहन प्रयोग :   ॐ ह्रीं कालि कपालिनि घोर नादिनि विश्वं विमोहय जगन्मोहय सर्व मोहय ठः ठः ठः स्वाहा।   विधि :-   इसे १,००,००० (एक लाख) बार जपकर सिद्ध कर लें, फिर सफेद घुघट के रस में ब्रह्मदंडी को पीसकर अभिमंत्रित करें। इसका लेप लगाने से संपूर्ण जगत मोहित हो जाता है।   १०. विद्वेषण प्रयोग :   ॐ नमो नारायणाय अमुकस्य अमुकं सह विद्वेषणां कुरु कुरु स्वाहा।   विधि :-   सर्वप्रथम १०,००० जपकर सिद्ध कर लें तथा एक हाथ में कौवा तथा दूसरे हाथ में उल्लू का पंख लेकर अभिमंत्रित करें। फिर दोनों पंखों के अग्रभाग को काले सूत के डोरे से बांध दें, फिर दोनों पंखों को हाथ में लेकर जल में तर्पण करें। इस प्रकार एक माला प्रतिदिन जप करके करते रहें। इससे दो साध्य व्यक्तियों के साथ विद्वेषण हो जायेगा।   ११. उच्चाटन प्रयोग :   ॐ नमो भगवते रुद्राय द्रष्ट्राकरालाविधि :   सर्वप्रथम १०,००० जपकर सिद्ध कर लें तथा एक हाथ में कौवा तथा दूसरे हाथ में उल्लू का पंख लेकर अभिमंत्रित करें। फिर दोनों पंखों के अग्रभाग को काले सूत के डोरे से बांध दें, फिर दोनों पंखों को हाथ में लेकर जल में तर्पण करें। इस प्रकार एक माला प्रतिदिन जप करके करते रहे। इससे दो साध्य व्यक्तियों के साथ विद्वेषण हो जायेगा।   ११. उच्चाटन प्रयोग : ॐ नमो भगवते रुद्राय द्रष्ट्राकरालाय अमुकं स्वपुत्र बान्धवै सह हम हम दह पच पच शौघमुच्चाटय उच्चाटय हूं फट स्वाहा। क्षण होता है।   १३. मारण प्रयोग :   ॐ चाण्डालिन कामाख्यावासिनी वनदुर्गे क्लीं क्लीं ठः स्वाहा।   विधि :-   गोरोचन तथा केसर द्वारा भोजपत्र पर उक्त मंत्र को लिखकर अपने गले में धारण करने से साध्य व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।   शिव पंचाक्षरी मंत्र ॐनमः शिवाय"।   समस्त देवताओं में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान शिव का दूसरा रूप आशुतोष भी है।   श्रद्धा एवं सादगी से उपर्युक्त मंत्र का ५ लाख पुरश्चरण करने से शिव शक्ति प्राप्त होती है।



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  • 08 July 2025
बीजमन्त्र-विज्ञान

1 Comments

abc
Chander pal bharti 21 December 2024

🙏🙏🙏🙏

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