शरीर के २७ स्थूल ऊर्जा केंद्र

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  • तंत्र शास्त्र
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  • 31 October 2024
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अनिल गोविंद बोकील । नाथसंप्रदाय मे पूर्णाभिषिक्त और  तंत्र मार्ग मे काली कुल मे पूर्णाभिषिक्त के बाद साम्राज्याभिषिक्त । हमारे शरीर मे २७ स्थूल ऊर्जा केंद्र और ७ सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते है । पहले स्थूल ऊर्जा केंद्रो से हमे परिचित होना है । इन्हे कार्यान्वित करना है । स्वयं को पहले ऊर्जावान होना है  तभी हम दूसरो को ऊर्जा दे सकते है । तो आईए पहले देखते है २७ स्थूल ऊर्जा केंद्र । वे इस प्रकार है - ( १ ) पैरो की दो नडगी = २ ( २ ) पैरो की दो पोटलीयां = २ ( ३ ) दो मांडी = २ ( ४ ) गुह्य स्थान का ऊपरी भाग = १ ( ५ ) नाभी  = १ ( ६ ) हृदय  = १ ( ७ ) फेफडे दो = २ ( ८ ) दो कंधे ( shoulders ) = २ ( ९ ) दोनो हाथो के तीन तीन भाग = ६ ( १० ) दो आंखे  = २ ( ११ ) दो कान  = २ ( १२ ) मुह  = १ ( १३ ) नाक  = १ ( १४ ) भ्रूमध्य  = १ ( १५ ) तालू  = १ कुल ऊर्जा केंद्र है = २७. इन्हे जागृत करना है हमे । कैसे ? इनमे ऊर्जा स्थापित करके । हम लोग किसी ना किसी देवी देवता की भक्ती करते ही है । उन की ही मदद से ये केंद्र जागृत होंगे । हरेक केंद्र मे इष्ट दैवत की स्थापना करने से यह अल्प प्रयास से हो जाता है । खुद मे ऐसी स्थापना करने की प्रक्रिया तंत्रमार्ग मे " न्यास " नाम से जानी जाती है । तथापि एक बात यहां अवश्य ध्यान मे ले  कि तंत्रमार्ग मे न्यास ; एक अंग होता है साधना का ; और नाथसंप्रदाय ने इसे ही दिव्य साधना का स्वरूप दिया है । अब प्रत्यक्ष क्या करना है ? देखीये । इन ऊर्जा केंद्रो का क्रम ( sequence ) पक्का ध्यान मे रखे । बिस्तर पर लेटे लेटे यह साधना करना उत्तम !!! क्योंकि किसी को भी पता नहीं चलेगा कि आप साधना कर रहे है । आप सो रहे हैं ऐसा ही सोचेंगे लोग ।। वैसे यह साधना बैठकर भी कर सकते है । अब आरंभ करे  पहले केंद्र से । उसपर ध्यान रखकर इष्ट दैवत का मंत्रजप ४ बार करे । जप करते समय भाव यह रखें कि इस स्थान ( केंद्र ) मे जागृत हो रहा है । चार बार मंत्रजप होने पर दूसरे केंद्र पर जाईए । और यही क्रिया कीजिए । इस प्रकार से २७ केंद्रो पर २७ × ४ = १०८ जप हुआ ? मंत्रजप की यह अन्यतम प्रक्रिया है । अब देखीये जप के समय केंद्र पर मन स्थिर रहता है अगला केंद्र भी ध्यान मे रहेगा ; तभी तो जाएंगे ना अगले केंद्रपर ? इष्ट दैवत से भक्ती भी है इसमे । जप से लयबद्धता निर्माण होती है जिसके लाभ हम उठा सकते है । हमारा पूरा शरीर ही मानो एक generator जैसा होता है जिस से हमारा मन एक प्रवाही बन जाता है । स्मरण शक्ति बढती है बुद्धि तेज होने लगती है । कितने लाभ बताऊ आपको ? इस प्रकार २७ केंद्रो पर जप पूरा होगा तो वह एक आवर्तन हुआ । इस प्रकार रोज तीन आवर्तन जरूर करे । एक खास बात बताके रखता हूँ कि ; शुरू मे एक भी आवर्तन पूरा नहीं होता । बीच मे ही नींद लग जाती है । कोई बात नहीं । जिन्हे निद्रानाश की व्यथा हो वे अगर नींद की गोली की शरण लेने के बजाय रोज एक आवर्तन भी करे तो ? कल्पना कीजिए  कितना लाभ होगा ? साधना करते समय कभी कभी यू लगता है कि  आनन्द की लहरे हमे स्पर्श कर रही है । इतनी जानकारी शायद काफी है आपके लिए । प्रत्यक्ष साधना करे और खुद ही अनुभव ले इतना ही बोल सकता हूँ । नमो आदेश ! आदेश !! आदेश !!!



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