गुप्त नवरात्रि के अनुभूत प्रयोग

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  • धर्म-पथ
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  • 31 October 2024
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  डॉ० बिपिन पाण्डेय, आचार्य, ज्योतिर्विज्ञान विभाग,  लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ   mysticpower-माघ मास, शुक्ल पक्ष की प्रथम नौ तिथियाँ गुप्त नवरात्रियाँ है जिसकी शुरुआत 22 जनवरी से होने जा रही है l एक वर्ष में कुल चार नवरात्रियाँ आती हैं , जिनमे से सामान्यतः दो नवरात्रियो के बारे में आपको पता है ,पर शेष दो गुप्त नवरात्रियाँ हैं l शत्रु को मित्र बनाने के लिए नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने, रक्षित करने, मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए और शत्रुओं को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है। नवरात्रि में स्नानादि से निवृत्त हो तिलक लगाके एवं दीपक जलाकर यदि कोई बीज मंत्र 'हूं' (Hum) अथवा 'अं रां अं' (Am Raam Am) मंत्र की इक्कीस माला जप करे तो शत्रु भी उसके मित्र बन जायेंगे l माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग 1 जिन माताओं बहनों को दुःख और कष्ट ज्यादा सताते हैं, वे नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दिया जलायें और कुम-कुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें ,पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें : “अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले " भविष्योत्तर पुराण के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन इस तरह पूजा करने से माताओ बहनों के कष्टों का जल्दी निवारण होता है l माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग 2 माघ मास शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन में सिर्फ बिना नमक मिर्च का भोजन करें l (जैसे दूध, रोटी या खीर खा सकते हैं l) " ॐ ह्रीं गौरये नमः " मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुमकुम का तिलक करें l गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ ओर रोटी खिलाएं l श्रेष्ठ अर्थ (धन) की प्राप्ति हेतु प्रयोग : नवरात्रि में देवी के एक विशेष मंत्र का जप करने से श्रेष्ठ अर्थ कि प्राप्ति होती है मंत्र ध्यान से पढ़ें "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाहा"       विद्यार्थियों के लिए प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रख कर पूजन करें और नवरात्रि के तीसरे तीन दिन विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें। इससे उन्हें विद्या प्राप्ति में अपार सफलता मिलती है l बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें । अतः इस सरल मंत्र की एक-दो माला नवरात्रि में अवश्य करें और लाभ लें l   व्यतिपात योग 23 जनवरी सोमवार को प्रातः 05:42 से रात्रि 01:28 (24 जनवरी 01:28 AM) तक (यानी 23 जनवरी पूरा दिन व्यतिपात योग है। व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।



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