- धर्म-पथ
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31 October 2024
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सुन्दर कुमार (संपादक)-
श्री हनुमान जी यू तो विघ्नहर्ता देव हैं परंतु उनकी उपासना सरल नही है क्योकि हनुमान जी का एक सात्विक देव के रूप में पूजन होता है सभी जानते हैं कि घर में नित्यप्रति श्री हनुमानजी महाराज की पूजा करने से भूत-प्रेत नहीं सताते। उनके नाम में ही जो अमोघ शक्ति है उससे बुरी शक्तियाँ दूर भागती हैं।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै॥
श्री हनुमान जी महाराज को जो भी प्रसाद का भोग दिया जाए उसमें विशेषकर शुद्धता का ध्यान दिया जाता है अन्यथा भक्तों को उनके कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिए भोग शुद्ध घी में शुद्धतापूर्वक घर पर बनाया हुआ होना चाहिये। यदि ऐसे प्रसाद की व्यवस्था न हो सके तो भोग लगाये ही नहीं।
इसी प्रकार हनुमानजी महाराज को शुद्ध कूप जल अथवा गंगाजल से स्नान कराना चाहिये। जब भी भक्तगण श्री हनुमान जी का मंदिर मन्दिर बनवाएँ तो मंदिर के साथ ही कुआँ अवश्य बनवाना चाहिये, जिससे उपासक स्नानादि कार्य शुद्धता पूर्वक भक्ति साधना कर सके तथा देव-पूजन का कार्य पवित्रतापूर्वक सम्पन्न हो सके। सभी हनुमान साधक जानते हैं कि हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं इसलिए उनके मन्दिर के पुजारी को सदाचारी होना चाहिये। श्रीमानुमान जी को प्रस्स्न करने हेतु शुद्ध सिन्दूर और शुद्ध घी आदि का चोला चढ़ाने का विधान है। मन्दिर में श्री रामायण के पाठ से हनुमानजी बड़े प्रसन्न होते हैं। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को दर्शन करने से तथा श्री हनुमान चालीसा का पाठ करनेसे साधक का परम कल्याण होता है।