अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ)- प्रकृतिक स्थिति के कारण पश्चिम तट पर मुम्बई तथा मंगलोर मुख्य पत्तन रहे हैं। भारत का समुद्र व्यापार सुरक्षा के अभाव में अरब तथा यूरोप के लुटेरों द्वारा बन्द हो गया तथा केवल मछुआरों का स्थान रह गया।
जहाज रुकने के तीन नाम प्रचलित हैं- बन्दर – वन-निधि = समुद्र। उसमें यात्रा करने वाला वानर। ईरान के बन्दर अब्बास से भारत का पोरबन्दर, बोरी-बन्दर (दोनों का मूल एक ही है-पुर वानर), बोर्नियो की राजधानी बन्दर श्री भगवान (या वेगवान जो रामायण सुन्दर काण्ड में हनुमान के लिए कहा गया है)।
पत्तन या पाटन, पटना- जहां जहाज के लंगर का पतन होता है। समुद्र तथा नदी दोनों के पत्तन हैं। ओड़िशा में २० से अधिक पटना हैं। एक पटना बिहार की राजधानी है। पत्तन भाग पटना था, सरकारी आवास भाग पाटलिपुत्र था (पटल = भाग, sector), गंगा के उत्तर तट का प्रकाश स्तम्भ प्रकाश-पत्तन था (मुञ्जाल के लघुमानस अनुसार स्थिति), विद्यालय भाग पुष्पपुर (फुलवारीशरीफ) तथा खगोल वेधशाला का स्थान खगोल था। गुजरात में सोमनाथ के पास प्रभास-पत्तन या पाटण है।
जंगम = चलने वाला। जहां व्यापार के लिए जहाज द्वारा बहुत आवागमन होता है वह विजंगम है। विशाखापट्टनम भी पत्तन है, यहां दो नदी शाखा दोनों तरफ हैं-वंशधारा, नागावली। अतः द्विशाखा या विशाखा हुआ। अन्य नाम विजंगम है (विजगापत्तन)। एक विजंगम केरल में है।
कलम्ब (कोलम, कोलम्बो, कोलाबा)-ज्योतिष की गोलीय त्रिकोणमिति (Spherical Trigonometry) में सर्वोच्च विन्दु या ध्रुव को कदम्ब तथा निम्न ध्रुव को कलम्ब कहते हैं। जहाज का लंगर भी कलम्ब (Column) की तरह नीचे जाता है, अतः वह भी कलम्ब है। जहाज चलाने वाले कलंज हैं जिनका देश कलिंग हुआ। इनके राजा कदम्ब हुए। कदम्ब वंश का शासन ओड़िशा तथा मंगलोर तट पर था। केरल की वर्ष गणना कलम्ब या कोल्लम है।
छिछले समुद्र में काठ की नौका को उडुप कहते थे। उडुप के प्रयोग का स्थान उडुपी (पश्चिम कर्णाटक), उड्र (उत्तर ओड़िशा) हैं। अंग्रेजी का wood या woods इसी से हुआ है। नाग की तरह समुद्र या स्थल मार्ग द्वारा पृथ्वी पर यात्रा तथा व्यापार करने वाले नाग थे। अफ्रीका का सबसे बड़ा नाग मम्बा (जुलू भाषा में इमम्बा) है। अतः उससे सम्बन्धित पश्चिम भारत तथा पूर्व अफ्रीका के प्राकृतिक बन्दर हैं-मुम्बई, मोम्बासा।
भारत के चारों तरफ अन्य कई स्थान भारतीय स्थानों के अनुकरण हैं। आजकल अमेरिका में भी विश्व के सभी प्रसिद्ध नगरों के नाम पर स्थान नाम रखे गये हैं। केरल मलय क्षेत्र है तथा राजधानी के पास का समुद्र तट कोवलम है। पूर्व के मलय देश की राजधानी भी कोवलम-पुर है। पूर्व भारत का नदी पत्तन चम्पा (भागलपुर, नागों की भोगवती नगरी) था। दक्षिण पूर्व एशिया का वियतनाम तथा निकट के भाग भी चम्पा थे। पूर्व तट पर अनाम पत्तन (आन्ध्र प्रदेश का अंग्रेजीकृत नाम येनाम) है। इसके जैसा वियतनाम है। अनाम = बिना नाम का, वियत् = शून्य या आकाश।
विषुव के निकट भारत का दक्षिण विन्दु कन्या कुमारी है। अफ्रीका के विषुव क्षेत्र का देश भी केन्या है। कन्याकुमारी देवी का अंग्रेजी अनुवाद virgin Mary है, कन्या = virgin, (कु) मारी = Mary। विषुव पर शून्य देशान्तर स्थान लंका था (लंका द्वीप से मालद्वीप तक भाग में)। इसके अनुकरण पर विश्व मे १५ लंका हैं जो नक्शा बनाने के स्थानीय सन्दर्भ या वेधशाला स्थान थे।
इंग्लैंड का लंकाशायर में स्टोनहेंज वेधशाला थी जो उज्जैन से ठीक ७८ अंश या १३ दण्ड पश्चिम था। काशी में भी वेधशाला स्थान लंका है। उसके पास सिगरा भी है जो लंका में रावण के भवन का नाम था। मंग का अर्थ जहाज का अगला भाग जहां से उसका दिशा निर्देश होता है (सिर का आगे का भाग मंग या मांग)। वहां से संचालन करने वाले की उपाधि ओड़िशा में मंगराज है। कर्णाटक में मंगलोर या मंगलूर पत्तन है। उसके पूर्व बंग-लूर है। पूर्व भारत का भी नदी पत्तन मुंगेर (मुद्गगिरि) तथा उसके पूर्व में बंग है।
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