शास्त्रों के अनुसार कैसे करें गर्मी से बचाव

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  • मिस्टिक ज्ञान
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  • 22 April 2025
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डॉ० बिपिन पाण्डेय, सहा० आचार्य ,ज्योतिर्विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय

20 अप्रैल 2025 रविवार से सायन ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ ।
ग्रीष्म ऋतु में शरीर का जलीय व स्निग्ध अंश घटने लगता है। जठराग्नि व रोगप्रतिकारक क्षमता भी घटने लगती है । इससे उत्पन्न शारीरिक समस्याओं से सुरक्षा हेतु नीचे दी गयी बातों का ध्यान रखें –

१] ग्रीष्म ऋतु में जलन, गर्मी, चक्कर आना, अपच, दस्त, नेत्रविकार ( आँख आना / Conjunctivitis ) आदि समस्याएँ अधिक होती हैं। अत: गर्मियों में घर में बाहर निकलते समय  लू  से  बचने के लिए सिर पर कपड़ा बाँधे अथवा टोपी पहने तथा एक गिलास पानी पीकर निकलें। जिन्हें दोपहिया वाहन पर बहुत लम्बी मुसाफिरी करनी हो वे जेब में एक प्याज रख सकते हैं |

२] उष्ण से ठंडे वातावरण में आने पर १० – १५ मिनट तक पानी न पियें। धूप में से आने पर तुंरत पूरे कपड़े न निकालें, कूलर आदि के सामने भी न बैठें। रात को पंखे, एयर – कंडिशनर अथवा कूलर की हवा में सोने की अपेक्षा हो सके तो छत पर अथवा खुले आँगन में सोयें। यह सम्भव न हो तो पंखे, कूलर आदि की सीधी हवा न लगे इसका ध्यान रखें |

३] इस मौसम में दिन में कम – से – कम ८ – १० गिलास पानी पियें। प्रात: पानी – प्रयोग  ( रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास पानी सुबह सूर्योदय से पूर्व पीये ) भी। पानी शरीर के जहरी पदार्थों(toxins) को बाहर निकालकर त्वचा को ताजगी देने में मदद करता है |

४] मौसमी फल या उनका रस व ठंड़ाई, नींबू की शिकंजी, पुदीने का शर्बत, गन्ने का रस, गुड का पानी आदि का सेवन लाभदायी है। गर्मियों में दही लेना मना है और दूध, मक्खन, खीर विशेष सेवनीय हैं |

५] आहार ताजा व सुपाच्य लें। भोजन में मिर्च, तेल, गर्म मसाले आदि का उपयोग कम करें। खमीरीकृत (fermented) पदार्थ, बासी व्यंजन बिल्कुल  न लें। कपड़े सूती, सफेद या हल्के  रंग के तथा ढीले – ढाले हों ।सोते समय मच्छरदानी आदि का प्रयोग अवश्य करें |

६] गर्मियों में फ्रीज का ठंडा पानी पीने से गले, दाँत, आमाशय व आँतो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मटके या सुराही का पानी पीना निरापद है  ( किंतु बिनजरूरी या प्यास से अधिक ठंडा पानी पीने से जठराग्नि मंद होती है ) |

७] इन दिनों में छाछ का सेवन निषिद्ध है ।अगर लेनी ही हो तो ताज़ी छाछ में मिश्री, जीरा, पुदीना, धनिया मिलाकर लें |

८] रात को देर तक जागना, सुबह देर तक सोना, अधिक व्यायाम, अधिक परिश्रम, अधिक उपवास तथा स्त्री – सहवास  - ये सभी इस ऋतु में वर्जित हैं |
 



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