अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ)-रामचरितमानस में सेतु बनने पर रावण ने कहा था-
बान्ध्यो वननिधि नीरनिधि जलधि पयोधि नदीश।
सत्य तोयनिधि कंपति उदधि सिन्धु वारीश।
वननिधि = समुद्र, इसमें विचरण करने वाला वानर।
आज भी पत्तन को बन्दर कहते हैं। ईरान का बन्दर अब्बास, भारत के पश्चिम तट पर पोरबन्दर, बोरीबन्दर।
स्वयं हनुमान के नाम पर पूर्वोत्तर इण्डोनेसिया के बोर्नियो की राजधानी है बन्दर श्री भगवान या वेगवान। वाल्मीकि रामायण में हनुमान को प्रायः ५० बार वेगवान कहा गया है।
प्लवङ्ग शब्द का प्रयोग भी कई बार है, विशेष कर किष्किन्धा काण्ड अध्याय ४० में यवद्वीप सहित सप्तद्वीप में सीता को खोजने के प्रसंग में। प्लव का अर्थ नौका भी है जैसा मुण्डकोपनिषद् (१/२/७) में १८ प्रकार के यज्ञों के विषय में कहा है-
प्लवाः ह्येते अदृढा यज्ञ रूपाः—।
समुद्र में नौका से जाने वाले भी प्लवङ्ग हैं।
रावण का राज्य कई द्वीपों पर था, इण्डोनेशिया (सप्तद्वीप), सुवर्ण द्वीप (आस्ट्रेलिया), अफ्रीका में माली से सुमालिया तक। लंका उसकी केवल राजधानी थी। १८ क्षेत्रों में युद्ध हुआ था, जिनको १८ पद्म कहा गया है। इनके १८ सेनापतियों का वर्णन वाल्मीकि रामायण के २ अध्यायों में है जिसका रामचरितमानस में निर्देश है-
पदुम अठारह यूथप बन्दर।
यहां पद्म का अर्थ संख्या नहीं समुद्र के द्वीप या युद्ध क्षेत्र हैं। पद्म के फूल जल के ऊपर तैरते हैं। इन क्षेत्रों में युद्ध के लिए वानर या प्लवंग के विशाल संगठन की आवश्यकता थी।
Comments are not available.