जिस युग में जितने सहस्र दिव्य वर्ष, उससे दोगुने सौ वर्ष उनकी संध्या एवं संध्यांशों में होते हैं। इस प्रकार...
जो सोता है उसके लिए कलियुग है और जो जँभाई लेता है उसके लिए द्वापर तथा जो उठकर खड़ा होता...
महर्षि चरक के ही अनुसार- इन्द्रिय, शरीर, मन और आत्मा के संयोग को आयु कहते हैं । धारि, जीवित, नित्यग,...
आयुर्वेद का अर्थ प्राचीन आचार्यों की व्याख्या और इसमें आए हुए ‘आयु’ और ‘वेद’ इन दो शब्दों के अर्थों के...
त्राटक या ध्यान की कोई भी क्रिया करने के बाद आधा घण्टा योग निद्रा अवश्य करे।। योग निद्रा हमारे किसी भी अभ्यास...
पंचकर्म चिकित्सा के विविध अवयव- पंचकर्म चिकित्सा में वमन, विरेचन, नस्य, बस्ती और रक्तमोक्षण इन पांच क्रियाओ का समावेश होता...
मन भी उसी ओर लगा रहे। लक्ष्य के अतिरिक्त और कुछ न देखे, न सोचे। प्रकाश ज्योति को आधार मानकर...
सब प्रकार के मधु व्रण, जख्मों को भरने वाले और टूटी हड्डियों को जोड़ने वाले होते हैं । इसका अधिक...
आमाशय दुर्बल होने से पाचनशक्ति न्यून हो जाती है और भोजन को ठीक नहीं पचा सकती । अतः शरीर के...