आयुर्वेद का अर्थ प्राचीन आचार्यों की व्याख्या और इसमें आए हुए ‘आयु’ और ‘वेद’ इन दो शब्दों के अर्थों के...
त्राटक या ध्यान की कोई भी क्रिया करने के बाद आधा घण्टा योग निद्रा अवश्य करे।। योग निद्रा हमारे किसी भी अभ्यास...
पंचकर्म चिकित्सा के विविध अवयव- पंचकर्म चिकित्सा में वमन, विरेचन, नस्य, बस्ती और रक्तमोक्षण इन पांच क्रियाओ का समावेश होता...
मन भी उसी ओर लगा रहे। लक्ष्य के अतिरिक्त और कुछ न देखे, न सोचे। प्रकाश ज्योति को आधार मानकर...
सब प्रकार के मधु व्रण, जख्मों को भरने वाले और टूटी हड्डियों को जोड़ने वाले होते हैं । इसका अधिक...
आमाशय दुर्बल होने से पाचनशक्ति न्यून हो जाती है और भोजन को ठीक नहीं पचा सकती । अतः शरीर के...
चमड़े की जीभ से निकलने वाली बैखरी ध्वनि तो जानकारियों का आदान-प्रदान भर कर सकती है। मन्त्र की क्षमता तो...
ॐकार का उपर का भाग सहस्त्रार-चक्र के रूपमें मध्य भाग अनाहत-चक्र के रूप में व नीचे का भाग मूलाधार-चक्र के...
तारूण्यावस्था मे दुषित कफ , वात और रक्त की दुषित होने से काँटे जैसे फोडे मुँह, गर्दन या कभी कभी...
माता कभी क्रुद्ध भी हो सकती है किन्तु पेट में गई हुई हरड़ कभी कुपित नहीं होती।’ मेथी, सोंठ और...