“प्राण ही धर्म है।” जहाँ हमारी बुद्धि काम नहीं करती वहाँ विवेक काम आता है। जहाँ विवेक भी काम नहीं...
प्रत्येक बुद्ध मनुष्य रूप में दीखता है। ७ लोक, २४ प्रकृति या बुद्धि के २८ अशक्ति के अनुसार ७, २४,...
पृथ्वी एवं उसके परिक्रमण-पथ द्वारा आकाश पर बने प्रक्षेप की संज्ञा “विष्णु” है। इस प्रक्षेप के अनेक रूप हैं किन्तु...